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हमारा विश्वास

1   बाइबिल के विषय में -

पुराने नियम और नए नियम का हर एक पवित्र शास्त्र शाब्दिक रूप से, अचूक रूप से, और सम्पूर्ण रीति से परमेश्वर द्वारा प्रेरित है l बाइबिल हर प्रकार की मसीही समझ, मसीही जीवन, और मसीही सेवकाई के लिए आधिकारिक मार्गदर्शक पुस्तक है l

2   परमेश्वर के विषय में -

परमेश्वर अनंतकालीन है, और उसका अस्तित्व तीन व्यक्तियों में है : पिता परमेश्वर, पुत्र परमेश्वर, और पवित्र आत्मा परमेश्वर l इनमे से हर एक सनातन है, अनंत है, और सर्वशक्तिमान है l

3   येशु मसीह के विषय में -

हम विश्वास करते हैं कि येशु मसीह – पुत्र, पूर्ण रूप से मनुष्य भी था, और पूर्ण रूप से परमेश्वर भी l येशु पवित्र आत्मा के द्वारा, परमेश्वर के सामर्थ्य से, कुंवारी मरियम के गर्भ से पैदा हुआ था l येशु ने जीवन में कभी कोई पाप नहीं किया l येशु ने सम्पूर्ण मानव-जाति के पापों के बदले क्रूस पर अपना लहू बहाकर बलिदान दिया, फिर वह गाड़ा गया और तीसरे दिन अपनी कब्र में से जी उठा और देह समेत स्वर्ग में उठा लिया गया l अब येशु पिता परमेश्वर के दाहिने ओर बैठा है l

4   पवित्र आत्मा के विषय में -

पवित्र आत्मा त्रयएक परमेश्वर का तीसरा व्यक्ति है जो हर रीति से पिता और पुत्र के तुल्य है, और उनके सामान ही अनंतकालीन है l पवित्र आत्मा संसार को पाप और धार्मिकता और न्याय के विषय में निरुत्तर करता है, और मनुष्य का संबंध येशु मसीह से जोड़ता है विश्वास के द्वारा l हम विश्वास करते हैं कि पवित्र आत्मा हर मसीही पर अपनी छाप लगाता है और उसमे स्थाई रूप से बसता है l लेकिन इसका मतलब ये नहीं कि मसीही हर समय पवित्र आत्मा से परिपूर्ण रहता है l

5   मनुष्य के विषय में - -

पहले मनुष्य आदम को परमेश्वर ने अपनी समानता और स्वरुप में रचा था l लेकिन अपने स्वयं से चुनने के अधिकार का गलत उपयोग करके उसने परमेश्वर की एक आज्ञा तोड़कर पाप किया, जिसकी वजह से उसमे शारीरिक और आत्मिक मृत्यु (परमेश्वर से संबंध टूटना) प्रवेश कर गई l आदम के स्वभाव में पाप आ गया, जो वंशानुगत उसकी सारी पीढ़ियों में भी चला गया l परिणामस्वरूप आज हर मनुष्य के स्वभाव में पाप है क्योंकि वो जन्म से ही पापी होता है l इसी कारण पापी मनुष्य को ईश्वरीय उध्दार की आवश्यकता है l

6   उध्दार के विषय में - -

ईश्वरीय उध्दार का अर्थ है – पापों की क्षमा मिलना और नर्क के दंड से बचना l उध्दार परमेश्वर का उपहार है मनुष्य के लिए जो येशु मसीह के छुटौती वाले बलिदान से प्राप्त हो सका l जो कोई येशु मसीह पर विश्वास करता है वो येशु के लहू द्वारा धर्मी ठहराया जाता है l क्योंकि उध्दार परमेश्वर के अनुग्रह से दिया जाता है, इसलिए एक विश्वासी मसीही का उध्दार अनंतकाल के लिए सुरक्षित है, मतलब उसका उध्दार कभी नहीं खोता l

7   पवित्र आत्मा के बपतिस्मा के विषय में - -

जिस क्षण कोई मनुष्य अपने पापों से मन फिराकर येशु मसीह को अपना उध्दारकर्ता स्वीकार करता है, उसी क्षण उस पर पवित्र आत्मा उतरता है - अर्थात जिस क्षण किसी व्यक्ति का उध्दार होता है, उसी क्षण पवित्र आत्मा से उसका बप्तिस्मा हो जाता है l उसके बाद जैसे-जैसे वो वचन में और येशु पर अपने विश्वास में बढ़ता जाता है, वो पवित्र आत्मा से परिपूर्ण होता जाता है l पवित्र आत्मा का हर दान मसीह की देह, अर्थात चर्च की उन्नत्ति के लिए दिए जाते हैं और आज भी मिलते हैं l

8   येशु के महान आयोग (The Great Commission) के विषय में - -

येशु ने कहा (मत्ती 28:18-20) में – स्वर्ग और पृथ्वी का सारा अधिकार मुझे दिया गया है। इसलिये तुम जाकर सब जातियों के लोगों को चेला बनाओ और उन्हें पिता और पुत्र और पवित्रआत्मा के नाम से बपतिस्मा दो। और उन्हें सब बातें जो मैं ने तुम्हें आज्ञा दी है, मानना सिखाओ: और देखो, मैं जगत के अन्त तक सदैव तुम्हारे संग हूं॥ हम विश्वास करते हैं कि येशु मसीह के इस महान आयोग (The Great Commission) को पूरा करने की जिम्मेवारी हर मसीही की है l

9   चर्च के विषय में - -

कलीसिया, अर्थात चर्च येशु मसीह की दुल्हन है - जो परमेश्वर की आराधना, परमेश्वर की सेवकाई, तथा बपतिस्मा और प्रभु-भोज का अनुसरण करने को समर्पित है l हर युग में चर्च का काम है सभी राष्ट्रों को परमेश्वर का वचन सिखाना, और वचन के द्वारा येशु के शिष्य बनाना l

10   अनंतकाल के जीवन के विषय में - -

हम विश्वास करते हैं कि येशु अपने चर्च को स्वर्ग उठा ले जाने के लिए वापिस आएगा – जिसको RAPTURE कहते हैं l मसीहियों के उठा लिए जाने के बाद पृथ्वी पर शुरू होगा सात साल का भारी क्लेश, जिसके बाद येशु का दूसरा आगमन होगा और वो पृथ्वी पर अपने 1000 साल का राज स्थापित करेगा l उसके बाद होगा येशु के श्वेत सिंहासन का न्याय - जिसमे अविश्वासियों और शैतान को नर्क में डाल दिया जाएगा, जिसके बाद येशु नया स्वर्ग और नई पृथ्वी स्थापित करेगा जो सब बातों की सम्पूर्णता होगी l